यीशु का जन्म और ज्योतिषी

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यीशु का जन्म और ज्योतिषी

क्रिसमस का महीना आते ही लोग अपनी अपनी तैयारी में लग जाते हैं । क्योंकि अपने प्रभु का जन्मदिन जो है, अपने घर को सजाने संवारने, नए नए कपड़े, केक, केरोल, घूमने की योजना में मालूम ही नहीं चलता कि क्रिसमस कब आ जाता है ।

पृथ्वी की सबसे अद्भुत घटना


यीशु का जन्म इस पृथ्वी की सबसे अद्भुत घटना है, जिसमें परमेश्वर, स्वर्गदूत, नबी, आकाश, तारे, पृथ्वी, पशु, मनुष्य, राजा, ज्योतिषी (खगोलशास्त्री) आदि सब इस अद्भुत घटना के गवाह बने, और संसार को एक मसीहा परमेश्वर के द्वारा दिया गया ।

मैं यह कह सकता हूँ, मानव जीवन के आरम्भ से जो भी घटनाएं अभी तक घटित हुई और जगत के अंत तक जो भी घटनाएं घटित होंगी, उन सभी में यीशु का जन्म ही सबसे अद्भुत घटना है ।
आज हम उन ज्योतिषियों के विषय में समझने का प्रयास करेंगें । जिनके बारे में हम केवल इतना ही जानते हैं, कि वे तीन मजूसी (ज्योतिषी) बालक यीशु को दण्डवत करने को आये । जिनका जिक्र हम अपने क्रिसमस के गीतों में भी करते हैं ।


यरूशलेम में ज्योतिषियों का आगमन:


पूर्व दिशा से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आये थे । इन सभी को उस समय बुद्धिमान या ज्ञानी व्यक्ति कहा जाता था, जो प्राचीन ग्रीक में मगोई कहलाते थे । इन बुद्धिमान/ज्योतिषी लोगों के बारे में गलत धारणाएं और कथायें प्रचारित हैं। वे राजा नहीं, बल्कि बुद्धिमान/ज्ञानी पुरुष थे, जिसका अर्थ यह है कि वे खगोल विज्ञानी थे। वे केवल तीन ज्योतिषी नहीं थे, लेकिन शायद ऐसा लगता है कि वे सभी संघठन के रूप में थे । उस समय की घटना का सही आंकलन करें तो ऐसा लगता है कि वे यीशु के जन्म की रात को नहीं आए थे, शायद कई महीनों के बाद पहुंचे थे ।


इसके लिए हम बाईबल के इन पदों से समझ सकते हैं:

  • मत्ती 2:11 में हमें बताया गया है कि तीन ज्योतिषी/मजूसी उस घर में आये थे जहाँ यूसुफ और मरियम रह रहे थे।
  • मत्ती 2:9 और पद 11 में उस समय जब यीशु से मिलते हैं तब यीशु एक छोटा बालक था, न कि बच्चा था ।
  • हेरोदेस ने ज्योतिषियों से उस तारे का ठीक-ठीक समय पूछा जब उन्होंने पहली बार तारा देखा था। इस जानकारी के आधार पर हेरोदेस ने बाद में बैतलहम में पैदा हुए हर बच्चे की हत्या कर दी जिनकी उम्र 2 साल से कम थी । इससे मालूम चलता है कि यीशु नवजात शिशु नहीं था ।

ज्योतिषियों का आगमन एक अचानक हुई घटना नहीं थी। इसका कुछ तो महत्व था, नहीं तो उनका वर्णन नहीं किया जाता।

  • मसीह समाज में ज्योतिष शास्त्र को बुरी नजर से ही देखा जाता है, जिसके संबंध में बाईबल में भी हम पढ़ते और सुनते हैं, लेकिन फिर भी यीशु के जन्म के समय देखते हैं कि एक तारे (ज्योति) ही के द्वारा ज्योतिषियों की अगुवाई परमेश्वर करता है।
  • यहाँ पर एक बात स्पष्ट करता चलूँ कि वे तीन ज्योतिषी यीशु के जन्म के काफी समय बाद यरूशलेम पहुंचे थे । वे सभी पूर्व के देश से चले थे, जिसका विवरण आप आगे पाएंगे ।

मत्ती के दूसरे अध्याय में ज्योतिषियों का वर्णन बहुत साधारण सा है कि ज्ञानी पुरूष पूर्व देश से एक तारे के पीछे पीछे चले आये थे।

यहां पर हमें यह नहीं बताया गया है कि कितने ज्योतिषी थे। किंतु बाईबल यह भी नहीं बताती कि तीन ज्योतिषी थे। मेरा मानना यह है कि तीन ज्योतिषियों वाला विचार इस तरह आया होगा, क्योंकि वहां पर तीन प्रकार की भेंट बालक यीशु को चढाई गई थी सोना, मुर और लोबान। किन्तु मेरा ही नहीं अनेकों धर्मशास्त्र के विद्वानों का यह मानना है कि तीन से अधिक ज्योतिषी हो सकते हैं । उनके अनुसार तीन ज्योतिषी से ”राजा हेरोदेस इतना चिंतित और भयभीत नहीं होता ।

ये ज्योतिषी बेबीलोन से आये थे।

दानियेल ने 2:27 में ”ज्योतिषी (और) विद्वान पुरूषों का वर्णन किया गया है । क्योंकि बेबिलोन निवासी तारों की गणना जिसको हम ज्योतिष गणना और आज के आधुनिक युग में खगोलशास्त्र कहते हैं, इस ज्ञान के विद्वान बेबीलोन में पाए जाते थे ” दानियेल नबी एक जवान लड़के के रूप में, बेबीलोन के ज्योतिषी ”विद्वानों की” शिक्षा का प्रशिक्षण लेता रहा होगा । आगे चलकर अपने बुढापे की अवस्था में दानियेल इन विद्वानों का मुखिया बन गया था । जब मसीह का जन्म हुआ था तब भी अनेक विद्वान पुरूष बेबीलोनिया में पाये जाते थे । उनके पास दानियेल नबी की लिखी पुस्तक थी ।

जब उन्होंने दानियेल 9:24−26 का अध्ययन किया तब विद्वानों (ज्योतिषियों) ने यहूदियों के मसीहा के बारे में जाना ।

जिस साल 69 सप्ताहों का अंत नजदीक आया, उन्होंने मसीहा के बारे में विचार करना शुरू किया। तब उन्होंने आकाश में एक तारा देखा, जो उससे पहले कभी नहीं दिखाई दिया था। वह एक अदभुत दिव्य तारा था। उन्होंने यह विश्वास किया कि यह स्वर्ग से परमेश्वर द्वारा दिया गया चिन्ह है, कि मसीहा जो यहूदियों का राजा है, आ चुका है। उस तारे को देखकर ज्योतिष लोग यरूशलेम की यात्रा को निकल पड़े, और साथ में राजा के लिए भेंट भी लेकर गये।

मीका 5:2

जब वे यरूशलेम पहुंचे, तब उन्होंने शास्त्रियों से भेंट कर मसीह के जन्म के विषय में पूछा और शास्त्रियों ने उन्हें मीका 5:2 में से पढ़कर बताया, कि मसीहा का जन्म बैतलहम के आस पास ही होना चाहिये, जो की यरूशलेम से थोडी ही दूर पर है । (इससे यह प्रतीत होता है कि वे सभी ज्योतिषी दानिय्येल, मीका व अन्य भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों का अध्ययन करते थे) तब तारा पुन: प्रगट हुआ और उनके आगे आगे चला ”और वहां ठहर गया जहां छोटा बालक था” (मत्ती 2:9) हम सभी जानते हैं कि वह तारा एक स्वर्गिक तारा था क्योंकि वह चल रहा था, और परमेश्वर उस तारे के माध्यम से बालक यीशु के पास ले जाने में उनकी अगुवाई कर रहा था ।

”और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।” (मत्ती 2:11)

ज्योतिषी घर में आये थे, चरनी में नहीं ।

बाईबल कहती है ”जब वे घर में आये।” ”परन्तु,” आप सोच सकते हैं कि ”क्या मसीह का जन्म चरनी में नहीं हुआ था?” जी हां, मसीह का जन्म चरनी में ही हुआ था । जैसा कि लूका का रचित सुसमाचार कहता है,

”और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा क्योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी।” (लूका 2:7)

बुद्धिमान/ज्ञानी पुरूष (ज्योतिषी) गौशाले में नहीं आये थे और न ही बालक यीशु को चरनी में पाया । वे ”घर में आये थे” (मत्ती 2:11) ज्योतिषी जिस समय चरवाहे आये थे, उसी समय नहीं पहुंचे थे । चरवाहों ने बालक यीशु को जानवरों की गौशाला में पाया था, कपड़े में लिपटा चरनी में एक जानवरों की चारा खाने वाली खोर के अंदर लेटा हुआ। यीशु के जन्म के तुरंत बाद स्वर्गदूत के कहे अनुसार चरवाहे वहां पहुंच गये थे। किंतु बुद्धिमान पुरूष/ज्योतिषी देर से भेंट करने पहंचे। वे तब पहुंचे जब मरियम और युसुफ बालक यीशु को लेकर छोटे से घर में जा चुके थे, क्योंकि उस समय सारे घर छोटे ही हुआ करते थे ।

बाईबल के अध्ययन अनुसार शायद वे बालक यीशु के जन्म के कई महिनों बाद पहुंचे थे और उसके लिये उपहार भेंट किये थे ।

आपको मालूम हो कि, उन ज्योतिषियों ने मसीह के जन्म के समय वह तारा देखा था। तभी उन्होंने निर्णय कर लिया था कि वे मसीहा के दर्शन को जायेंगे, और तब उन्हे यीशु के पास पहुंचने में कई महिने लगे । यह सत्य भी जुडा हुआ है कि शायद यीशु का खतना होकर पंडुकी का एक जोडा भी मंदिर में चढा दिया गया था (लूका 2:24) यह भी एक सत्य था कि यूसुफ और मरियम बहुत गरीब थे, इसलिये मेम्ना नहीं चढा पाये । अगर ज्योतिषी पहले आ चुके होते कीमती भेंटे लेकर, तो शायद बालक यीशु के माता पिता मेम्ना बलि चढाते । इन घटनाओं से प्रदर्शित होता है कि ज्योतिषी बालक यीशु के जन्म के कई महिनों पश्चात पहुंचे थे ।

मैं यहाँ पर यह बताना चाहूंगा कि वह तारा एक स्वर्गिक ”नोवा” तारा था, जैसा कि (मेरियम – वेबस्टर डिक्शनरी) डिक्शनरी बतलाती है कि ”वह तारा एकाएक अपनी ज्योति बढा देता है, और कुछ महिने में इसकी रोशनी मद्धिम पड जाती है” । उन्होंने इस तारे को पूर्व में देखा था । शायद उसके कुछ समय बाद यह तारा गायब हो गया था ।

जब ज्योतिषी यरूशलेम पहुंचे, तो वह तारा फिर से प्रगट हुआ ।

जब उन्होंने फिर से इस तारे को देखा, ”वे आनंद मनाने लगे” (मत्ती 2:10) इसलिये यह तारा हमेशा निकलने या दिखने वाला तारा नहीं था । यह चलने वाला तारा था ”जब तक कि वे ज्योतिषी बालक यीशु के घर तक नहीं पहुंच गये” (मत्ती 2:9) कुछ व्याख्याकार विद्वान इस तारे को पुराने नियम की ”शेखीनाह” रोशनी से तुलना करते हैं, और रात के समय जब निर्जन में इजरायली लोग चलते थे तब परमेश्वर उनके बीच ज्वाला बनकर चलता था, जो ”दिन को मार्ग दिखाने के लिये…उनके आगे-आगे चला करता था…वे रात और दिन दोनों में चल सकें (निर्गमन 13:20) ।

वे सभी ज्योतिषी एक लंबा रास्ता तय करके पहुंचे थे ।

उन्होंने बहुत कष्ट झेले होंगे, रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का सामना भी किया होगा, ताकि बैतलेहेम के उस घर में यीशु के दर्शन कर सकें। हममें से प्रत्येक विश्वासी को ज्योतिषियों के द्वारा उठाए गए कष्ट व कठिनाईयों से सीख लेनी चाहिए कि यीशु के दर्शन करने के लिए ही उन्होंने यह सब परिश्रम किया ।
क्या आप भी यीशु के दर्शन के लिए कष्ट व कठिनाईयों का सामना करने के लिए तैयार हैं? यदि हाँ तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि यीशु का दर्शन आप भी अवश्य प्राप्त करेंगे, जैसे ज्योतिषियों के किया था ।

ज्योतिषियों ने यीशु को गिरकर दंडवत किया।

”और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया ।” (मत्ती 2:11)

आज भी कुछ अविश्वासी/विश्वासी कहलाये जाने वाले ”ज्ञानी” मानते हैं कि इस तरह गिरकर यीशु को दंडवत करने का तरीका गलत है । उनका ऐसा कहना है कि हमें सिर्फ परमेश्वर को ही दंडवत करना चाहिये। यह इस बात को प्रगट करता है, कि वे शायद बाईबल से अनभिज्ञ/अनजान हैं, जो यह बताती है कि प्रभु यीशु परमेश्वर का ही अवतार या स्वरुप है – परमेश्वर मनुष्य रूप धारण कर इस धरती पर आये । प्रेरित यूहन्ना ने यीशु को पहले अध्याय में ”वचन” कहा है ।

”और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, (और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी) जैसी पिता के एकलौते की महिमा” (यूहन्ना1:14)

यह बात ध्यान करना चाहिए ज्योतिषयों ने ”छोटे बालक को अपनी मां मरियम के साथ देखा, और उसे दंडवत किया” (मत्ती 2:11) ।

जब चेलों ने जीवित मसीह को गलील में देखा था तो हमें बताया गया है,

”और वे उस को दण्डवत करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए। ”
(मत्ती 28:17; लूका 24:52)

आओ हम भी इस क्रिसमस के अवसर पर उसकी आराधना करें, क्योंकि वह एकमात्र ही आराधना के योग्य है, और प्रतिज्ञा लें कि जीवन भर हम उसकी आराधना करते रहेंगे ।

ज्योतिषियों ने यीशु को उपहार भेंट किये।

”और उस घर में पहुंचकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।” (मत्ती 2:11)

ज्योतिषियों ने अपने खजाने खोले और यीशु को उपहार चढाये। आज मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप भी यीशु मसीह को अपने दिल के भीतर गहराईयों में बसा लीजिये, और अपने-अपने खजाने उसके कदमों में डाल दीजिये, और उसे अपनी सबसे पसंदीदा उत्तम भेंट चढ़ायेँ। आनंद मनाइये कि वह आपके जीवन की मुश्किलों से छुटकारा देने के लिये (नीचे) नम्र बनकर उतर आया ।

ज्योतिषयों ने दंडवत किया, और यीशु को, उन्होंने सोना, मुर, लोबान भेंट चढाये।

यही वे सबसे अधिक कीमती उपहार थे और सबसे उत्तम भी, जो उन ज्योतिषियों के पास थे। सोना एक राजा को सम्मान देने के लिए है, सोना राजा के लिये होता यह अभिषेक है मुर एक सबसे मंहगी खुशबु थी । मुर वही सुगंधित मसाला था जो यहूदी लोग मरे हुये व्यक्ति के शव पर गाढ़ने के समय लेप के लिये लगाते थे । यूहन्ना 19:39 में हम देखते हैं, निकुदेमुस अपने साथ मुर लाया था, ताकि यीशु के शव पर लगा सके, उस समय ”जैसी यहूदियों की प्रथा थी।” लोबान देहधारी परमेश्वर (यीशु) के लिये धूप का प्रतीक था। मुर हमारे पापों के लिये क्रूस पर जान देकर मरने के लिये था, जो उसके प्राण (बलिदान) देने का प्रतीक था ।

आशा है आप को हमारे लेखों से उचित जानकारी मिली होगी, फिर भी किसी प्रकार की कमी रह गयी हो तो हमें अवश्य लिख कर बताएं। ईश्वर आपको बहुतायत की आशिशें देवें।

रेव्ह. बिन्नी जॉन “शास्त्री जी”
धर्मशास्त्री, अंकशास्त्री

तारामंडल में मसीह येशुआ का सत्य

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बाइबल की 10 आज्ञाएँ कौन सी हैं? | The Ten Commandments

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